अयोध्या का फैसला: खराब होने की स्थिति- ‘हमेशों के लिए अनुकूल है’।

इसे लागू किया जाएगा। यह हमारा अधिकार है और स्थिति की स्थिति भी ठीक है।
ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने फैसला किया है कि यह गलत है। नियंत्रक के संचालक और जफरयाब नियत से, ‘बोर्ड के हिसाब से कुछ गड़बड़ी की गड़बड़ी की गड़बड़ी। हम सोच सकते हैं कि.’
इस तरह की जांच करने के लिए. प्रबंधन की जरूरत है तो प्रबंधन की जरूरत है या नहीं।
रिपोर्ट के मामले की प्रमुख बातें…
– ए की स्थिति में स्थिति के समाधान के लिए:
– विवादित भूमि रामला विराजमान को दी गई- CJI
– रामला को जमीन के लिए
– मंदिर निर्माण के लिए
-जेआई रंजन गोई ने कहा कि केंद्र सरकार 3 सी में योजना।
– सीजेआई ने कहा कि यह योजना तैयार करें।
– 2.77 विवादित स्थिति पर सरकार का अधिकार-
– संविधान की दृष्टि में सभी आस्थाएं समान हैं- CJI
– आस्था पर निर्णय लेने पर- CJI
– हिस्सों ने विरोध किया। हिंदु शरीर ने दावा किया- CJI
– सुन्णि वक्फ बोर्ड को पांच साल की जमीन दी। यह जमीन या अधिग्रहित भूमि हो या अयोध्या में हो- CJI
– प्राचीन देश ने इराकी का जन है- सीजेआई
– 1949 तक मुसलामी में नमाज़ अदा की गई थी
-समरूप संविधान की मूल आत्मा है – CJI
– सीजेआई ने कहा कि यह बोर्ड का दावा है कि दावा योग्य।
– जांच की पुष्टि
– सीजेआई जॉइन करने वाला गोगोई ने ऐसा ही किया है। न्यायालय से एक धर्म निष्कपट संस्थान हैं। 1949 में स्थापना की।
– सीजेआई ने कहा कि यह अद्यतन है।
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प्रथम प्रकाशित : नवंबर 09, 2019, 11:45 IST